सहेलियों से घिरी संजना बड़ी सज धज के बैठी हुई है। गपशप करती लड़कियों के बीच वो एकदम शांत बैठी हुई है, जैसे तेज हवा में डोलते बादलों के बीच चांद बैठा हो। एक पल के लिए खुद को शीशे में निहारती हुई ...
कल्पनाओं को कहानी की शक्ल देता हुं।कोई लेखक नहीं हूं पर जब भी समय मिलता है तो लिखने की कोशिश करता हूं।आपके सुझाव आमंत्रित हैं
अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, राय फरमाइश मेल करें [email protected] पर
सारांश
कल्पनाओं को कहानी की शक्ल देता हुं।कोई लेखक नहीं हूं पर जब भी समय मिलता है तो लिखने की कोशिश करता हूं।आपके सुझाव आमंत्रित हैं
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