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निखालिस प्रेम का युग अब बीत चुका है ! प्रेम को बाजार ने बुरी तरह प्रभावित कर दिया है ! कुछ कुछ इसी बात को यह छोटी कहानी उठाती है !

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लेखक के बारे में
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रमेश शर्मा

परिचय नाम -- रमेश शर्मा जन्म -- 06 जून 1966 शिक्षा --एम.एस-सी.( गणित ), बी.एड. सम्प्रति -- व्याख्याता , कृतियाँ●कहानी संग्रह* पहला कहानी संग्रह "मुक्ति" बोधि प्रकाशन जयपुर से 2013 में प्रकाशित , दूसरा कहानी संग्रह " एक मरती हुई आवाज" अधिकरण प्रकाशन दिल्ली से 2019 में प्रकाशित .तीसरा कहानी संग्रह 'उस घर की आंखों से'2022 में न्यू वर्ल्ड प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित। कविता संग्रह "वे खोज रहे थे अपने हिस्से का प्रेम " अधिकरण प्रकाशन दिल्ली से 2019 में प्रकाशित . सृजन -- समकालीन भारतीय साहित्य, परिकथा, समावर्तन, परस्पर, पाठ, अक्षरपर्व, माटी, द सन्डे पोस्ट, हिमप्रस्थ इत्यादि में कहानियां प्रकाशित | हंस (अगस्त 2014) में लघुकथा प्रकाशित | इसके अलावा--- हंस ,परिकथा,कथन,अक्षरपर्व,इन्द्रप्रस्थ-भारती, समावर्तन, सूत्र, सर्वनाम, आकंठ , माध्यम, हिमप्रस्थ इत्यादि में कविताएँ प्रकाशित | सम्मान - राज्यपाल के हाथों छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान . संपर्क-- 92 श्रीकुंज , बीज निगम के सामने , बोईरदादर , रायगढ़ ( छत्तीसगढ़ ) पिन- 496001, मो. 9752685148 इमेल -- [email protected]

समीक्षा
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  • author
    31 अक्टूबर 2018
    पैसा भगवान तो नहीं, पर उससे कुछ कम भी नहीं। आज के भौतिकतावादी युग में पैसा प्रेम से महत्वपूर्ण हो गया है, इस बात को बहुत ही अच्छे से आपने इस लघुकथा में प्रस्तुत किया है।
  • author
    Sandhya Singh
    17 फ़रवरी 2017
    paisa Jarurat hai Jaruri nhi.....kash log samjh paate ....khair ...apne ach6a likha hai .,.
  • author
    योगी योगेन्द्र
    03 जुलाई 2018
    एकदम सत्य कहानी आधुनिक युग का एक ही परम् सत्य है पैसा पैसा पैसा
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    31 अक्टूबर 2018
    पैसा भगवान तो नहीं, पर उससे कुछ कम भी नहीं। आज के भौतिकतावादी युग में पैसा प्रेम से महत्वपूर्ण हो गया है, इस बात को बहुत ही अच्छे से आपने इस लघुकथा में प्रस्तुत किया है।
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    Sandhya Singh
    17 फ़रवरी 2017
    paisa Jarurat hai Jaruri nhi.....kash log samjh paate ....khair ...apne ach6a likha hai .,.
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    योगी योगेन्द्र
    03 जुलाई 2018
    एकदम सत्य कहानी आधुनिक युग का एक ही परम् सत्य है पैसा पैसा पैसा