पर्दे के पीछे छिपे साये में, दुष्ट लोग छिपे रहते हैं जो अक्सर अपने कुकर्मों को अंजाम देते हैं। वे जानते हैं कि ज़्यादातर लोग उनकी हरकतों पर आँख मूंद लेंगे, जिससे उनकी निष्क्रियता उनके कामों को और भी ...
कुछ तो मैं ही पागल था और कुछ था उसका पागलपन
सोचो मैंने झेला होगा कितना कितना पागलपन
मुझको पागल कहती हो तुम मान लिया मैं पागल हूँ
लेकिन मै जो पागल हूँ तो तुम हो मेरा पागलपन
उन आँखो पर हाथ रखा फिर उन होंटो को चूम लिया
उसने पूछा क्या है ये सब मैंने बोला पागलपन,
🙏🌹🌹🌹🙏🍀🌹
सारांश
कुछ तो मैं ही पागल था और कुछ था उसका पागलपन
सोचो मैंने झेला होगा कितना कितना पागलपन
मुझको पागल कहती हो तुम मान लिया मैं पागल हूँ
लेकिन मै जो पागल हूँ तो तुम हो मेरा पागलपन
उन आँखो पर हाथ रखा फिर उन होंटो को चूम लिया
उसने पूछा क्या है ये सब मैंने बोला पागलपन,
🙏🌹🌹🌹🙏🍀🌹
💐🙏लाजवाब सृजन करते हो जिम्मेदारी का बहुत अच्छा शानदार सृजन किया है 🙏💐🙏, हर शब्द में सरलता और शुद्धता है, मेरी रचना पढ़कर मुझे भी समीक्षा दे प्रोत्साहन राशि जरूर दें🙏🌺🌺🌺
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