pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

सत्य

4.2
1741

लघुकथा .............. अचानक एक सभा में खलबली मच गई।स्टेज पर बैठे एक वक्ता ने एक  टिप्पणी की थी और उसके पास बैठे संचालक ने टिप्पणी का माइक पर जोर - जोर से दुहराव किया। पेंच उलझ गया - टिप्पणीकार की ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

शिक्षा – एम्.ए. ( हिन्दी ) सम्प्रति – कंटेंट एडिटर, प्रतिलिपि कॉमिक्स प्रकाशित पुस्तकें – तिराहा,बेगम हज़रत महल (उपन्यास ) अनतर्मन के द्वीप, पॉर्न स्टार और अन्य कहानियां – कहानी संग्रह कई कवितायें ,कहानियाँ एवं लेख पत्र - पत्रिकाओं और कई ब्लॉग्स पर प्रकाशित।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Asha Roy "आशा"
    21 नवम्बर 2022
    बहुत खूब जनाब।आज का समाजिक परिवेश गुंगे जैसा है लोग तटस्थ रहने लगे हैं, उन्हें किसी की समस्या से कुछ लेना - देना नहीं रह गया है।अपने आप को एक सीमित दायरे में सिमटा लिया है। बहुत उम्दा रचना समसामयिक विषय।
  • author
    Jainand Gurjar
    06 दिसम्बर 2018
    acchi rachna hai......😊😊😊 जी आप मेरी नई कहानी"मानसिक बलात्कार" और "उसका यूँ तोतलाना" पढ़ सकते हैं।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Asha Roy "आशा"
    21 नवम्बर 2022
    बहुत खूब जनाब।आज का समाजिक परिवेश गुंगे जैसा है लोग तटस्थ रहने लगे हैं, उन्हें किसी की समस्या से कुछ लेना - देना नहीं रह गया है।अपने आप को एक सीमित दायरे में सिमटा लिया है। बहुत उम्दा रचना समसामयिक विषय।
  • author
    Jainand Gurjar
    06 दिसम्बर 2018
    acchi rachna hai......😊😊😊 जी आप मेरी नई कहानी"मानसिक बलात्कार" और "उसका यूँ तोतलाना" पढ़ सकते हैं।