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सतरंगी आस्माँ

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सतरंग चुनरियाँ ओढ़े, आसमान मुझे मोहे। देखो लाल पिला हरा नीला, साज गया आकाश नीला। सफेद चादर पर रंग सुनहरा मन पे छाप छोडे गहरा। हर रंग की बात निराली आकाश मे छाई है लाली जैसे आकाश मे खेली गई होली ...

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लेखक के बारे में
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Priti Panday

मैने जितनी अपनी रचनाये बनाई है वो ज्दाआ समाजिक मुद्दों पर अधारित है मै केमेस्ट्री से पोस्ट gradute हूँ

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Naveen Pawar
    03 मार्च 2022
    *स्याही की भी मंजिल का अंदाज़ देखिये* *खुद ब खुद बिखरती है तो दाग़ बन जाती है,* *कोई और बिखेरता है तो* *अल्फ़ाज़ बन जाती है.!!*बहुत ही शानदार, हृदयस्पर्शी, रचना बन जाती है.....
  • author
    ✧༺{CHAHAT BETUKI}༻✧
    23 फ़रवरी 2022
    lajawaab likhaa hai aap ne di,,,,,,, 👌👌👌👌
  • author
    Balram Soni
    22 फ़रवरी 2022
    बढ़िया बेहतरीन रचना लिखी है🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा🌹🙏
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    Naveen Pawar
    03 मार्च 2022
    *स्याही की भी मंजिल का अंदाज़ देखिये* *खुद ब खुद बिखरती है तो दाग़ बन जाती है,* *कोई और बिखेरता है तो* *अल्फ़ाज़ बन जाती है.!!*बहुत ही शानदार, हृदयस्पर्शी, रचना बन जाती है.....
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    ✧༺{CHAHAT BETUKI}༻✧
    23 फ़रवरी 2022
    lajawaab likhaa hai aap ne di,,,,,,, 👌👌👌👌
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    Balram Soni
    22 फ़रवरी 2022
    बढ़िया बेहतरीन रचना लिखी है🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा🌹🙏