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"साथी हिम्मत नहीं हारना"

4.8
14

ना मिले मंज़िल तो मन को नहीं मारना, साथी कभी हिम्मत नहीं हारना, रणभूमि में कौशल अभिमन्यु में कमजोर था, हाय द्रवित हृदय, चहुं ओर षड्यंत्र का बस ज़ोर था, था वीर वो घुस कर लड़ा, महारथियों से कुछ आगे ...

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लेखक के बारे में
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Ved Shukla
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    01 नवम्बर 2020
    एक बहुत ही प्रेरक कविता।लेखक को बहुत बहुत बधाई...😊👍👍
  • author
    V!$#@|_ जी...❣️😊
    01 नवम्बर 2020
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....😊👍👌💐
  • author
    M
    01 नवम्बर 2020
    बहुत सुंदर 👌👌👍👍
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    01 नवम्बर 2020
    एक बहुत ही प्रेरक कविता।लेखक को बहुत बहुत बधाई...😊👍👍
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    V!$#@|_ जी...❣️😊
    01 नवम्बर 2020
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....😊👍👌💐
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    M
    01 नवम्बर 2020
    बहुत सुंदर 👌👌👍👍