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ससुरालनामा (व्यंग्य)

4.1
9979

ससुराल, दामादों की खूबसूरत शरणस्थली है। जब बीवी, चौके -बर्तन से ऊबकर मायके कूच करती है तो समझदार पति ससुराल की शरण लेता है। विश्व में शायद ही कोई जीवित पति हो, जिसकी ससुराल न होती हो। कई बार तो ...

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लेखक के बारे में

जहां से शुरू होता हूँ वहां ख़त्म नहीं होता। ख़त्म वहां पर होना चाहता हूँ जहां से शुरू होने की कोई गुंजायश न बचे।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aarti Singh
    27 अप्रैल 2019
    बहुत ही सुन्दर ससुराल का वर्णन करा है अपने 😊👌🏻
  • author
    28 अक्टूबर 2019
    अति सुंदर वर्णन 😄😄😄😄
  • author
    Mohini Mishra
    07 मई 2017
    bahut achcha vyangya
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  • author
    Aarti Singh
    27 अप्रैल 2019
    बहुत ही सुन्दर ससुराल का वर्णन करा है अपने 😊👌🏻
  • author
    28 अक्टूबर 2019
    अति सुंदर वर्णन 😄😄😄😄
  • author
    Mohini Mishra
    07 मई 2017
    bahut achcha vyangya