प्रतिलिपि के आज के विषय से मुझे कुछ पुराने किस्से याद आ गए ।जो मेरी दादीसास अक्सर हमें सुनाया करती थी ।हमारे यहां राजस्थान में दिवाली और होली पर सब बहूएँ तैयार होकर गांव में सब बड़े बूढ़ों के पांव ...
बहुत मजेदार हास्य किस्सा प्रस्तुत किया हुक्म आपने,,,,😊😊😊
यही तो गांव और शहर के लोगों में फर्क होता है सच्चे रिश्तो का अपनी खुशी का अपनेपन का,,,,,
जहां कोई नाराजगी नहीं सिर्फ अपनापन और प्रेम भाव बहुत सुंदर लिखा हुकुम आपने😊😊👏👏👏🙏🤗
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