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ससुर जी का घुंघट

4.9
101

प्रतिलिपि के आज के विषय से मुझे कुछ पुराने किस्से याद आ गए ।जो मेरी दादीसास अक्सर हमें सुनाया करती थी ।हमारे यहां राजस्थान में दिवाली और होली पर सब बहूएँ तैयार होकर गांव में सब बड़े बूढ़ों के पांव ...

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लेखक के बारे में
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Diksha Singh
समीक्षा
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  • author
    sonu gunu
    01 मई 2022
    waoo yaae kya likhaa super😍😍😍
  • author
    Rajesh shekhawat "Raj✍️"
    03 मई 2022
    बहुत मजेदार हास्य किस्सा प्रस्तुत किया हुक्म आपने,,,,😊😊😊 यही तो गांव और शहर के लोगों में फर्क होता है सच्चे रिश्तो का अपनी खुशी का अपनेपन का,,,,, जहां कोई नाराजगी नहीं सिर्फ अपनापन और प्रेम भाव बहुत सुंदर लिखा हुकुम आपने😊😊👏👏👏🙏🤗
  • author
    Kapil Nagrale
    09 दिसम्बर 2021
    वाह जी वाह क्या बात है बहुत ही सुंदर हंसी से भरी जीवन की घटना को अपने आपने हमारे साथ शेयर किया है लाजवाब अभिव्यक्ति पढ़कर हंसी के साथ मजा भी आया
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    sonu gunu
    01 मई 2022
    waoo yaae kya likhaa super😍😍😍
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    Rajesh shekhawat "Raj✍️"
    03 मई 2022
    बहुत मजेदार हास्य किस्सा प्रस्तुत किया हुक्म आपने,,,,😊😊😊 यही तो गांव और शहर के लोगों में फर्क होता है सच्चे रिश्तो का अपनी खुशी का अपनेपन का,,,,, जहां कोई नाराजगी नहीं सिर्फ अपनापन और प्रेम भाव बहुत सुंदर लिखा हुकुम आपने😊😊👏👏👏🙏🤗
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    Kapil Nagrale
    09 दिसम्बर 2021
    वाह जी वाह क्या बात है बहुत ही सुंदर हंसी से भरी जीवन की घटना को अपने आपने हमारे साथ शेयर किया है लाजवाब अभिव्यक्ति पढ़कर हंसी के साथ मजा भी आया