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सर्वत्र हूँ

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में शब्द का श्वास हूँ, संगीत का उन्माद हूँ बौद्ध-गया में हुआ खुद के साथ संवाद हूँ नही, हूँ, न था, था, न रहूंगा, शाश्वत हूँ ब्रम्ह के मुख से हुआ ॐ कार का नाद हूँ छान्दोग्य का तत्वमसि और वेदों का नेति ...

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लेखक के बारे में
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Rushi Bhatt
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    Suman Rajvanshi
    06 अगस्त 2018
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