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सेरोगेट मदर

4.1
54817

" बहुत ही बेशर्म और ढीठ औरत है . पिछले साल भर से तो अकेली रहती है , और अब ये इतना बड़ा पेट ले कर घूम रही है ." "हाँ पता नहीं क्या चक्कर है, यदि पति है तो रहता क्यूँ नहीं साथ में ? " "हां, और देखो न ...

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रश्मि प्रणय

" गॉड-गिफ्ट " नवरात्रि के त्योहार का गुरुवार था वो . रोज की तरह सुबह बगीचे में पानी डालनें गयी तो उन दोनों को देखा . चुपचाप दबे पाँव मुझे ही घूर रहे थे ... अरे तुम कब आ गयी ? और तभी कुँए की फर्शी के नीचे से दो और ,खुबसूरत कंचे जैसी आँखें भी चमक उठी .. हे भगवान् ये भी हैं क्या ? चलो भागो यहाँ से .... मन में आया डंडा मार कर भगा दूँ .मौका मिलते ही चुपचाप किचन में आकर दूध -दही में मुंह डाल कर भाग जाती हैं .... फिर सोचा .. नहीं अभी वो प्रसूता हैं .. एक मां ,छोटे छोटे दुधमुंहे बच्चों को लेकर आयी हैं . जिनमें से एक बहुत ' शैतान ' हैं और दूसरा ' आई वेडा' (mammas boy) ' चिपकू ' घर में देवी मां की पूजा करूँ और इस मां को भगा दूँ .. नहीं ,नहीं .. संस्कार आड़े आ गए . ठीक हैं रहो यहीं,जब तक सक्षम न हो जाए बाहर की दुनिया को पहचानने में ... मैनें उनसे कहा . बस फिर क्या था ... सुबह दोपहर शाम दूध /दूध रोटी की बंदी लग गई उनकी .अच्छा अब इन सबमें पतिदेव और बेटियां भी शामिल हो गयी. पिल्लों नें दूध पीया या नहीं .. ? आज क्या किया ? कैसी मस्ती की ,कहाँ कहाँ छिपे ...? आदि रोजनामचा पढ़ा -सुनाया जानें लगा . रात को ठंडक हो जाती हैं इसलिये बरामदे में पड़ी कुर्सियों के कुशन पर डेरा डाल लिया उन्होंने .साथ ही क्यारियों में ,आँगन में टाट के बोरे और घर के पायपोश भी बिछ गए ,उनकी खातिरदारी में . रोज रात को सोनें से पहले और सुबह जल्दी उठते ही मुंह अँधेरे उनको ढूंढना और उनके लिए कटोरियों में दूध रखना भी दैनन्दिनी में शामिल हो गया. कुल मिला कर एक उत्सव घर के भीतर था और एक बाहर मन रहा था . अच्छा इन सबके बीच जो पुरानें थे गेट के बाहर (स्ट्रीट डॉग्स ) वो अपनी उपस्थति दर्शा ही देते थे .सुबह शाम दूध रोटी की इतनें बरसों से चली आ रही उनकी बंदी में हालाँकि कोई बदलाव नहीं था, लेकिन फिर भी उनके मन में कहीं न कहीं इर्ष्या भाव तो था. जो वे अपनी गुर्राहट और भौकलाहट से समय समय पर दर्शा ही देते थे . क्योंकि गेट के अन्दर वाले और वो जन्मजात दुशमन जो हैं . इस प्रकार अब नवजातों को उनसे बचानें का दायित्व भी अनजानें हमारे ऊपर ही आ गया . तीन दिन पहले एक रात उन दो पिल्लों में से शैतान वाला जो बहुत मस्ती खोर हैं,अचानक सुस्त हो गया ,धीरे धीरे उसकी मस्ती कम होनें लगी .मां से भाई /बहन से दूर दूर रहनें लगा. भाई /बहन जबरदस्ती उसको अपनें खेल में शामिल करनें की कोशिश कर रहा था लेकिन .. कभी इधर कभी उधर .. बेचैनी बढ़ती जा रही थी . मां की भी और हमारी भी ... बार बार जा जा कर देखती . पतिदेव के फ़ोन भी हालचाल पूछनें के लिए आते .बच्चियों के साथ वो अब ' सेल्फी ' के लिए पोज भी नहीं दे रहा था ... दो दिन से कुछ पीया नहीं न मां का दूध न पानी ,न दूध कुछ नहीं .. हम सब भी उदास .. सोच रहे थे क्या करे .. फिर कल रात को थोड़ा सा दूध पीया जरा सा पानी भी पीया .. हमनें राहत की सांस ली .. मां की बेचैनी अब भी थी,कातर नजरों से देखती थी हमें . दिल हमारा भी बैठा जा रहा था .. फिर भी लगता था सब ठीक हो जाएगा . लेकिन नहीं आज सुबह जब कटोरी में दूध रखा, तब घोर अन्धेरा था. मां और चिपकू ही दिखा कार के नीचे .हमनें सोचा नन्हा शैतान सो रहा होगा कहीं ..लेकिन नहीं वो शैतान हमेशा के लिए सो गया था ..वहीँ हमारे आँगन में गाडी के पास जिसकी बोनट में जा कर छिप जाता था कुलांचे भरता था गमलों के आगे -पीछे जैसे कह रहा हो आओ मुझे पकड़ो ...लेकिन अब सब कुछ शांत ..... मां अब उसे खोज रही हैं ,पुकार रही हैं . चिपकू नें और मां ने सुबह से एक घूंट भी दूध नहीं पीया हैं . कातर नजरों से देख रही हैं .. उसकी अगम्य भाषा में कुछ बोल रही हैं .. लेकिन मैं केवल उसका दर्द देख पा रही हूँ ...और कुछ नहीं .. भगवान् अचानक ही कुछ रिश्ते बिन मांगे दे देता हैं ,और बिन बोले उन्हें वापिस भी ले लेता हैं .

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    भूमि राय
    13 जुलाई 2019
    एक बच्चे के होने से मजबूर है और एक बच्चे के न होने से। और जिनके पास सबकुछ है वो अपने मंदबुद्धि होने के कारण मजबूर हैं।
  • author
    Niraj Singh
    28 मई 2021
    प्रतिपालन की चुनौतियों एवं विवशता की जीवंतता का अंगीकार करती हुई बेबस जिंदगी की हृदयस्पर्शी कहानी ।। सुपर से ऊपर💐👌👍
  • author
    Anuradha Narde
    22 अप्रैल 2020
    kam shabdo me puri baat kah di, bahut hi badia
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    भूमि राय
    13 जुलाई 2019
    एक बच्चे के होने से मजबूर है और एक बच्चे के न होने से। और जिनके पास सबकुछ है वो अपने मंदबुद्धि होने के कारण मजबूर हैं।
  • author
    Niraj Singh
    28 मई 2021
    प्रतिपालन की चुनौतियों एवं विवशता की जीवंतता का अंगीकार करती हुई बेबस जिंदगी की हृदयस्पर्शी कहानी ।। सुपर से ऊपर💐👌👍
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    Anuradha Narde
    22 अप्रैल 2020
    kam shabdo me puri baat kah di, bahut hi badia