जीवन चलने का नाम है, छलने का नहीं। आँखों पर काला चश्मा लगाए , रोज मंदिर की सीढ़ियों पर बैठती सरला की कहानी कुछ हट कर थी।प्रकृति हो कि इन्सान- सरला के साथ बस छल ही करते रहे। पैदा हुई तो भगवान ने ...
औरों का दुख देखा तो अपना दुःख भूल गया, वाकई दुनियां में कितने ही लोग का जीवन दुखों से भरा पड़ा है, फिर भी पूरी सिद्दत और संघर्ष के साथ ही अपना जीवन बीता रहें हैं हालातों और जिन्दगी से हार न मानते हुए। अर्चना जी आपने सरलता, सहजता से इतनी दू:ख भरी प्रेरक रचना पैश की हैं, बहुत बहुत बधाई, हार्दिक शुभकामनाएं..!
"प्यार का एहसास" कहानी पढ़िएगा, प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा...
Hemant Modh
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