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साडी

4.0
10770

रमेश अपने बोनस के पैसों से अपनी शादी की सालगिरह पर बड़ी मुश्किलों से रमणी के लिए एक साड़ी खरीद कर लाया था। रमणी की कंजूस प्रवृत्ति को देखते हुए उसने साड़ी का दाम कम बताया था...नतीजतन....

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लेखक के बारे में

प्रकाशित पुस्तकें:- कविता संग्रह- क्योंकि मैं औरत हूँ कहानी संग्रह- समुद्र की रेत, मन का मनका फेर, सात दिन की माँ उपन्यास- अबकी नौकरी छोड़ दूँगी, सिंहासन का शीशा

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anupama Tiwari
    19 अक्टूबर 2019
    कहानी में उपमा नहीं , बल्कि उपमाओं के बीच में कुछ कहानी लिखी है
  • author
    Laxmi Rathodi
    29 सितम्बर 2020
    Sahi jagah par Sahi vyanjan ka istemal Kiya aapane padke bahut Hansi I 🤗✌️
  • author
    Sarvesh Arora
    27 दिसम्बर 2018
    Kahani me sthiti ki tulna har jagah sirf khane ki dishes se ki gayi hai. Original idea dab gaya.
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    Anupama Tiwari
    19 अक्टूबर 2019
    कहानी में उपमा नहीं , बल्कि उपमाओं के बीच में कुछ कहानी लिखी है
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    Laxmi Rathodi
    29 सितम्बर 2020
    Sahi jagah par Sahi vyanjan ka istemal Kiya aapane padke bahut Hansi I 🤗✌️
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    Sarvesh Arora
    27 दिसम्बर 2018
    Kahani me sthiti ki tulna har jagah sirf khane ki dishes se ki gayi hai. Original idea dab gaya.