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साडी

4.0
10766

रमेश अपने बोनस के पैसों से अपनी शादी की सालगिरह पर बड़ी मुश्किलों से रमणी के लिए एक साड़ी खरीद कर लाया था। रमणी की कंजूस प्रवृत्ति को देखते हुए उसने साड़ी का दाम कम बताया था...नतीजतन....

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समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sapna Sharma
    17 मे 2019
    उपमा देना अच्छी बात है पर इतनी सारी वो भी बात बात पे इससे कहानी का मजा बिगड़ गया ठीक वैसे ही जैसे मटर पनीर में नमक ज्यादा हो गया हो
  • author
    Anupama Tiwari
    19 ऑक्टोबर 2019
    कहानी में उपमा नहीं , बल्कि उपमाओं के बीच में कुछ कहानी लिखी है
  • author
    Laxmi Rathodi
    29 सप्टेंबर 2020
    Sahi jagah par Sahi vyanjan ka istemal Kiya aapane padke bahut Hansi I 🤗✌️
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    Sapna Sharma
    17 मे 2019
    उपमा देना अच्छी बात है पर इतनी सारी वो भी बात बात पे इससे कहानी का मजा बिगड़ गया ठीक वैसे ही जैसे मटर पनीर में नमक ज्यादा हो गया हो
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    Anupama Tiwari
    19 ऑक्टोबर 2019
    कहानी में उपमा नहीं , बल्कि उपमाओं के बीच में कुछ कहानी लिखी है
  • author
    Laxmi Rathodi
    29 सप्टेंबर 2020
    Sahi jagah par Sahi vyanjan ka istemal Kiya aapane padke bahut Hansi I 🤗✌️