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संविधान के रचयिता ने......

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संविधान के रचयिता ने कुछ सोच कर रचा होगा। सोचा होगा,,, मिलेगा सबको अपना हक सबका समान अधिकार होगा। संविधान के रचयिता ने कुछ सोच कर रचा होगा। यकीनन सोचा होगा,, न्याय और कानून से समान न्याय की ...

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लेखक के बारे में
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Neelam Mallah

मैं एक गृहणी हूं। मुझे बचपन से लिखने पढ़ने का शौक रहा है। छठी क्लास से मैं अपने रफ बुक के बैक पेज पर छोटी-छोटी कविताएं लिखा करती थी। तब मुझे इतना ज्ञान नहीं था कि यह कविताएं मेरे या फिर किसी और के कभी काम आ सकती हैं। तब कविताएं लिखने का शौक था लेकिन अब कारण भी हैं मैं हमेशा से स्त्रियों के साथ होते दोहरे व्यवहार से आहत रही हूं। समाज में जाति धर्म को लेकर जो द्वेष होते हैं उससे मेरा मन बहुत दुखी होता है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से अगर समाज में या फिर किसी भी इंसान में थोड़ा भी परिवर्तन कर पाई तो मैं समझूंगी कि मेरी लिखना सफल हो गया। अंत में दो लाइन बस में कहना चाहूंगी। सुना है कि तलवार से तेज धार कलम में होती है। यह किसी को नुकसान भी नहीं पहुंचती, सीधे बुराइयों पर वार करती है।। नीलम 'अवि'

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
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    14 এপ্রিল 2025
    सविधान के निर्माता भीमराव अंबेडकर ने एक अच्छा सविधान बनाया है सभी वर्गो के लिए । बड़े दुख की बात है कि कुछ लोग ईर्ष्या करते हैं । अंबेडकर जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं आपको जी ।
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    17 এপ্রিল 2025
    बाबा साहेब ने जो संविधान रचा था उसको संशोधन के नाम पर खांग्रेसी सरकारों ने विकृत कर दिया था तब बाबा साहेब और उनके सहयोगियों की आत्मा खूब सिसक रही थी..किंतु अब उनकी असली संविधान को लागू करने का प्रयास हो रहा है..जब तक जनता नहीं जागेगी तब तक बाबा साहेब का संविधान लागू नहीं हो सकता है क्योंकि जयचंद के वंशजों की संख्या उतरोतर बढ़ती ही जा रही है। मेरी धृष्टता क्षमा कीजिएगा..ये मेरा निजी विचार है 🙏🙏 अतिसुंदर जानदार शानदार धारदार धूआंधार लाज़वाब पेशकश आपकी 👌👌🙏🙏
  • author
    Kumari Sweta
    14 এপ্রিল 2025
    बहुत सुंदर लिखा आपने 🙏🏻🙏🏻 अंबेडकर जयंती पर उनको समर्पित विचारणीय कविता 👌🏻👌🏻 सच में उनकी आत्मा सिसक रही होगी
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    14 এপ্রিল 2025
    सविधान के निर्माता भीमराव अंबेडकर ने एक अच्छा सविधान बनाया है सभी वर्गो के लिए । बड़े दुख की बात है कि कुछ लोग ईर्ष्या करते हैं । अंबेडकर जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं आपको जी ।
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    17 এপ্রিল 2025
    बाबा साहेब ने जो संविधान रचा था उसको संशोधन के नाम पर खांग्रेसी सरकारों ने विकृत कर दिया था तब बाबा साहेब और उनके सहयोगियों की आत्मा खूब सिसक रही थी..किंतु अब उनकी असली संविधान को लागू करने का प्रयास हो रहा है..जब तक जनता नहीं जागेगी तब तक बाबा साहेब का संविधान लागू नहीं हो सकता है क्योंकि जयचंद के वंशजों की संख्या उतरोतर बढ़ती ही जा रही है। मेरी धृष्टता क्षमा कीजिएगा..ये मेरा निजी विचार है 🙏🙏 अतिसुंदर जानदार शानदार धारदार धूआंधार लाज़वाब पेशकश आपकी 👌👌🙏🙏
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    Kumari Sweta
    14 এপ্রিল 2025
    बहुत सुंदर लिखा आपने 🙏🏻🙏🏻 अंबेडकर जयंती पर उनको समर्पित विचारणीय कविता 👌🏻👌🏻 सच में उनकी आत्मा सिसक रही होगी