मैं एक गृहणी हूं। मुझे बचपन से लिखने पढ़ने का शौक रहा है। छठी क्लास से मैं अपने रफ बुक के बैक पेज पर छोटी-छोटी कविताएं लिखा करती थी। तब मुझे इतना ज्ञान नहीं था कि यह कविताएं मेरे या फिर किसी और के कभी काम आ सकती हैं।
तब कविताएं लिखने का शौक था लेकिन अब कारण भी हैं मैं हमेशा से स्त्रियों के साथ होते दोहरे व्यवहार से आहत रही हूं। समाज में जाति धर्म को लेकर जो द्वेष होते हैं उससे मेरा मन बहुत दुखी होता है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से अगर समाज में या फिर किसी भी इंसान में थोड़ा भी परिवर्तन कर पाई तो मैं समझूंगी कि मेरी लिखना सफल हो गया। अंत में दो लाइन बस में कहना चाहूंगी।
सुना है कि
तलवार से तेज धार कलम में होती है।
यह किसी को नुकसान भी नहीं पहुंचती,
सीधे बुराइयों पर वार करती है।।
नीलम 'अवि'
रिपोर्ट की समस्या
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