संस्मरण बात उन दिनों की है जब मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए0 द्वितीय वर्ष का छात्र था। मैं घर से कमरे पर जा रहा था। दोपहर का समय था। बैरहना चौराहे पर बस से उतरने के पश्चात मैं पैदल ही ...
संस्मरण बात उन दिनों की है जब मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए0 द्वितीय वर्ष का छात्र था। मैं घर से कमरे पर जा रहा था। दोपहर का समय था। बैरहना चौराहे पर बस से उतरने के पश्चात मैं पैदल ही ...