‘‘जीजी उठो, चाय ले आई.’’ ‘‘अरे... मुझे जगा दिया होता. मैं बना देती.’’ ‘‘इस बुढ़ापे में हम दोनों को ही अच्छी नींद कहां आती है. तुक्वहारी झपकी-सी लग गई थी, सो नहीं उठाया. मैं ही बना लाई, आज मेरे ...
पत्रकारिता का 18 वर्षों काअनुभव. कविता संग्रह ‘सतरंगी मन’ और कहानी संग्रह ‘तुम सी’ प्रकाशित. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानियां और कविताओं का प्रकाशन.
सारांश
पत्रकारिता का 18 वर्षों काअनुभव. कविता संग्रह ‘सतरंगी मन’ और कहानी संग्रह ‘तुम सी’ प्रकाशित. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानियां और कविताओं का प्रकाशन.
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