pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

संध्या सुंदरी!

4.9
31

संध्या सुंदरी – पूरब   पश्चिम  द्वार  का   हो  दरवाजा  लाल। आते  जाते   सूर्य   को   रंग  देता  सो  लाल।। अस्त हो रहा अरुण  या  बिंदा  धरी  ललाट। सांझ झाँकती खोलकर  दिवा रात  दो  पाट।। अरुणित ...

अभी पढ़ें

Hurray!
Pratilipi has launched iOS App

Become the first few to get the App.

Download App
ios
लेखक के बारे में

जिला गोरखपुर जानिए, कोठा मेरा गांव। तरुणाई युवा पड़ी, जे के नगर पड़ाव।। जे के नगर बजार में, छापे की दुकान। चल जाती है जीविका, बाकी राखे राम।।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dr. Sunil Kr. Mishra
    19 జులై 2023
    वाह, बहुत ही बेहतरीन एवम भावपूर्ण अभिव्यक्ति आपकी, लाजवाब लिखा है आपने, शानदार भाषा शैली एवम उत्कृष्ट काव्य प्रस्तुति आपकी आदरणीय।
  • author
    Manju Ashok Rajabhoj
    20 జులై 2023
    बहुत ही भावपूर्ण, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति दी है आपने |👌👌😊 यूँ ही साहित्य का सफर पढ़ते लिखते बीते साथ में ||😍
  • author
    Balram Soni
    19 జులై 2023
    बहुत ही बढ़िया बेहतरीन बेमिसाल अति सुन्दर और अति प्रशंसनीय रचना लिखी है 💐🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏💐
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dr. Sunil Kr. Mishra
    19 జులై 2023
    वाह, बहुत ही बेहतरीन एवम भावपूर्ण अभिव्यक्ति आपकी, लाजवाब लिखा है आपने, शानदार भाषा शैली एवम उत्कृष्ट काव्य प्रस्तुति आपकी आदरणीय।
  • author
    Manju Ashok Rajabhoj
    20 జులై 2023
    बहुत ही भावपूर्ण, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति दी है आपने |👌👌😊 यूँ ही साहित्य का सफर पढ़ते लिखते बीते साथ में ||😍
  • author
    Balram Soni
    19 జులై 2023
    बहुत ही बढ़िया बेहतरीन बेमिसाल अति सुन्दर और अति प्रशंसनीय रचना लिखी है 💐🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏💐