रामनिहाल अपना बिखरा हुआ सामान बाँधने में लगा। जँगले से धूप आकर उसके छोटे-से शीशे पर तड़प रही थी। अपना उज्ज्वल आलोक-खण्ड, वह छोटा-सा दर्पण बुद्ध की सुन्दर प्रतिमा को अर्पण कर रहा था। किन्तु प्रतिमा ...
जिंदगी में हर किसी को कहीं न कहीं पर किसी न किसी से एतबार होना लाजमी है! मन का बहकावे में इंसान चहुँ ओर नजरें दौराये पल पल ज्ञान की अनभिज्ञता को अपने हिसाब से बाटने का प्रयासरत रहता है!
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