मन की सुनती हूं मन की कहती हूं।
डायरी के पन्नों पर कुछ कुछ लिखती रहती थी लेकिन कभी उस लिखे पर एतबार ना हुआ और वो छुपा रह गया। 2016 में ये प्रतिभा सीप में छुपे मोती की तरह बाहर आई और एक नया सफर शुरू हो गया।
लेखन से जिंदगी के नए आयाम खुले।
मुझे बाते करना, दोस्त बनाना, घूमना, मस्ती/शैतानी करना, डांस करना और खासतौर पर सोना पसंद है। धार्मिक और जातीय समीकरणों से मुझे परहेज है, मुनुष्यता को मेरा सलाम।
मेरा मानना है कि भले ही एक इन्सान आपको पसंद करे लेकिन दिल से करे। बिना कान, मुँह, दिल और दिमाग के लाखों चाहने वालों से एक समझने वाला भला। इसलिए, पहले पढ़िये, फिर फॉलो कीजिये। कृपया कॉपीराइट नियम का उललघंन ना करें। आप मदद का आग्रह कर सकते हैं , चोरी नहीं। सनद रहें।
मेरी कुछ कहानियां पहले कुछ दूसरे प्लेटफार्म पर प्रकाशित हो चुकी है, संभवतः आपने उनको वहां पढ़ लिया हो। कुछ को इंग्लिश से हिंदी में अनुवाद करके प्रकाशित कर रही हूं।
सभी प्रकाशित व भविष्य में प्रकाशित होने वाली रचनाएं पूर्ण रूप से स्वरचित हैं, इनकी किसी से समानता मात्र संयोग हो सकता है।
रिपोर्ट की समस्या
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