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समुद्र समागम।

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समुद्र शब्द है बड़ा विशाल, सभी नदियाँ आकर मिल जाती है, पर करती न अभिमान। हमेशा सबको समाहित कर रखती सबका मान, हमसब भी वैसा ही बने, न हो कभी अहंकार। सबका देती साथ न किसी से बैर, मिलजुल कर एक साथ रहते, ...

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लेखक के बारे में
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sanjay kumar

संजय कुमार रेलवे कर्मचारी, सोनपुर

समीक्षा
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    19 फ़रवरी 2024
    संदेश देती सुंदर अभिव्यक्ति ।
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    19 फ़रवरी 2024
    संदेश देती सुंदर अभिव्यक्ति ।