भूमिका धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग से ऐश्वर्य, धन, वैभव आदि सब लुप्त हो गया। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने उन्हें असुरों के साथ ...
विपिनजी बहुत बहुत और बहुत ही सार्थक
जानकारी दी आपने ।येसब जानकारी श्री भद्भाग्वत मे है और आज तो इसकी नितांत आवश्यकता है ।हम जैसे जैसे उन्नत होते हैं इन वस्तुओं से दूर हो रहे है ।मैंने जो धारावाहिक भग्वद्गीता पर दिया वो इसी उद्देश्य से।कि संस्कृत कम लोगों को आती है और जो गीता को समझना चाहते हैं उन्हें सरल हिन्दी मे मैंने देने का यत्न
किया पर मुझे अधिक सफलता नहीं मिली बहुत कम लोगों की इसमें रुचि है।पर जिन्हें है वे सब
इसका लाभ नियमित लेते हैं उनकी समीक्षा ओं से पता चलता है ।कुछ लोग भी इसे ग्रहण करते हैं तो भी संतोष होगा आपको बधाई ।कि आपने इस पर कलम चलाने का निश्चय किया आज की मोबाइल की दुनिया मे ये और भी आवश्यक है।
आज का यूवावर्ग इसे पोन्गापंथी समझ खिल्ली
करता है।पर जितनी जल्दी वो इस ओर आ ये मनुष्य या केलिए जरूरी है।आपने आज के संदर्भ से इसका संबंध सही पहचाना ।आपको फिर बधाई ।परमात्मा की ओर जाना ही मनुष्य जन्म का सार्थक होना है समान वस्तु आसानी से घुलमिल जाती हैं सुगंध वायु मे अग्नि अग्नि मे और मनुष्य परमात्मा मे सहजता से मिलताहै।
ये ही स्वाभाविक है।संपूर्ण गीता मे कृष्ण ने
येअर्जुन को हम सबके लिए बताया है।अर्जुन हमारा प्रतिनिधित्व करते हैं ।आपको मैं केवल
बधाई ही देना चाहती हूँ ।ज्ञान तो आपको पहले से है।आपको शुभकामनाएँ ।
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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आज हिन्दू अपने कर्तव्य व धर्म से विमुख हो गया है। धर्म -कर्म भूलकर ऐश्वर्य में लिप्त हो गया है। अपनी संस्कृति व स्वाभिमान को भूल चुका है। तामसी विचार, तामसी खान-पान, तथा निजि स्वार्थ में फसकर अपने अस्तित्व को खो चुका हो। 👍🙏🙏
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किया पर मुझे अधिक सफलता नहीं मिली बहुत कम लोगों की इसमें रुचि है।पर जिन्हें है वे सब
इसका लाभ नियमित लेते हैं उनकी समीक्षा ओं से पता चलता है ।कुछ लोग भी इसे ग्रहण करते हैं तो भी संतोष होगा आपको बधाई ।कि आपने इस पर कलम चलाने का निश्चय किया आज की मोबाइल की दुनिया मे ये और भी आवश्यक है।
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करता है।पर जितनी जल्दी वो इस ओर आ ये मनुष्य या केलिए जरूरी है।आपने आज के संदर्भ से इसका संबंध सही पहचाना ।आपको फिर बधाई ।परमात्मा की ओर जाना ही मनुष्य जन्म का सार्थक होना है समान वस्तु आसानी से घुलमिल जाती हैं सुगंध वायु मे अग्नि अग्नि मे और मनुष्य परमात्मा मे सहजता से मिलताहै।
ये ही स्वाभाविक है।संपूर्ण गीता मे कृष्ण ने
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