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समुद्र मंथन

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काश समुद्र मंथन फिर से हो जाता,, मैं भी देता देवताओं का साथ,, अमृत कलश हाथों में आता,, कोई मोहिनी बनकर पिलाती अमृत मुझको भी,, फिर तो जवां रहते ता उम्र,, बूढ़ी आँखों का सवाल ही नहीं आता। अशोक ...

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लेखक के बारे में
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Ashok Joshi

B.E.( Mechanical)..1974 batch. प्रतिलिपि पर लिखना सीख रहा हूं। जब कभी समय मिलता है तब कुछ लिखने का प्रयास करता हूं। बेहतर लिखने के लिए आप सभी के सहयोग और मार्गदर्शन की हमेशा अपेक्षा रहेंगी। आटोमोबाइल गियर बनाने कि कंपनी में फिलहाल कार्यरत।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anup Jain
    23 फ़रवरी 2021
    बहुत खूब
  • author
    Poonam Rawat Panwar
    23 फ़रवरी 2021
    बहुत अच्छी अभिलाषा समय मिले तो मेरी कहानी सेतु बंधन से समुद्र मंथन पढ़े छोटी सी कहानी है आपको अच्छी लगेगी
  • author
    Madhavi Sharma "Aparajita"
    23 फ़रवरी 2021
    वाह बहुत ही लाजवाब लिखा आपने ,,ताउम्र जवान रह जाते,, फिर आंखें बूढी कैसे होती,,
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    Anup Jain
    23 फ़रवरी 2021
    बहुत खूब
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    Poonam Rawat Panwar
    23 फ़रवरी 2021
    बहुत अच्छी अभिलाषा समय मिले तो मेरी कहानी सेतु बंधन से समुद्र मंथन पढ़े छोटी सी कहानी है आपको अच्छी लगेगी
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    Madhavi Sharma "Aparajita"
    23 फ़रवरी 2021
    वाह बहुत ही लाजवाब लिखा आपने ,,ताउम्र जवान रह जाते,, फिर आंखें बूढी कैसे होती,,