काश समुद्र मंथन फिर से हो जाता,, मैं भी देता देवताओं का साथ,, अमृत कलश हाथों में आता,, कोई मोहिनी बनकर पिलाती अमृत मुझको भी,, फिर तो जवां रहते ता उम्र,, बूढ़ी आँखों का सवाल ही नहीं आता। अशोक ...
B.E.( Mechanical)..1974 batch.
प्रतिलिपि पर लिखना सीख रहा हूं। जब कभी समय मिलता है तब कुछ लिखने का प्रयास करता हूं। बेहतर लिखने के लिए आप सभी के सहयोग और मार्गदर्शन की हमेशा अपेक्षा रहेंगी।
आटोमोबाइल गियर बनाने कि कंपनी में फिलहाल कार्यरत।
सारांश
B.E.( Mechanical)..1974 batch.
प्रतिलिपि पर लिखना सीख रहा हूं। जब कभी समय मिलता है तब कुछ लिखने का प्रयास करता हूं। बेहतर लिखने के लिए आप सभी के सहयोग और मार्गदर्शन की हमेशा अपेक्षा रहेंगी।
आटोमोबाइल गियर बनाने कि कंपनी में फिलहाल कार्यरत।
रिपोर्ट की समस्या
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