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सामने ही सवेरा था

4.7
752

वो रात घनी थी, चारों तरफ़ अंधेरा था निराशा की सर्द स्याही​ में, रास्ता घनेरा था वक्त के बेदर्द थपेड़ों से, बिख़रा मेरा बसेरा था ना बिखरे मेरे सपने, ना टूटा मेरा हौसला समेटकर अपने अरमानों के शीशे, ...

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लेखक के बारे में

मैं कौन हूँ? इस सवाल का जवाब खोजने निकला मैं ना जाने कब लिखने लगा पता ही नहीं चला। अपने मन की बातें शब्दों में पिरोकर एक कहानी की तरह आपके समक्ष प्रस्तुत करना अच्छा लगता है। लिखता हूँ ताकि आपके दिल और मन से संवाद कर सकूँ, बिना किसी बंधन और सीमा के मैं लिखूँ वो जो मैं चाहता हूँ। लेखन मेरा संसार है और इस संसार का मैं नायक हूँ और आप मेरे सफर के साथी। तो चलो साथ चलते हैं इस अनजान सफ़र पर। ///// अपने सुझाव, फीडबैक मुझे भेजें या फिर सिर्फ हालचाल पूछने के लिए भी मैसेज करें। ///// मेरी कहानियों को wattapad.com पर पढ़ें| https://www.wattpad.com/user/Gadadhar141 आप Telegram पर मेरी सभी कहानियां पाएंगे https://t.me/storydesk

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    विकास कुमार
    16 मई 2018
    वाह , बहुत सुन्दर ....कृपया मै आपको अपनी रचना " तू कौन " पढ़ने के लिए आमंत्रित करता हूँ | धन्यवाद
  • author
    Singhaniya Monika
    17 अगस्त 2023
    वाह लाजवाब
  • author
    विभा माथुर
    29 मार्च 2019
    नरेंद्र केशकर जी की रचना सुने यहां पर https://fw.firstwall.com/news/entertainment/vibha_mathur@vshankar_film_television_and_art_academy/5e22c5293a0b587b50c7b836b6c2a578/?ref=wa-sharing
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    विकास कुमार
    16 मई 2018
    वाह , बहुत सुन्दर ....कृपया मै आपको अपनी रचना " तू कौन " पढ़ने के लिए आमंत्रित करता हूँ | धन्यवाद
  • author
    Singhaniya Monika
    17 अगस्त 2023
    वाह लाजवाब
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    विभा माथुर
    29 मार्च 2019
    नरेंद्र केशकर जी की रचना सुने यहां पर https://fw.firstwall.com/news/entertainment/vibha_mathur@vshankar_film_television_and_art_academy/5e22c5293a0b587b50c7b836b6c2a578/?ref=wa-sharing