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सम्मान पत्र पारितोषिक है। प्रज्ञा कला महत्वाकांक्षा का। इसकी आभा सूरज जैसी। सृजन उत्साह आकांक्षा का। ये अमूल्य अतुल्य सर्वदा। हर दिल पर करता राज है। इसकी दौड़ में हर कोई है। बूढ़ा बच्चा या जांबाज ...