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संबंधी

4.6
4501

उस स्टेशन पर जब ट्रेन रुकी तो ऐसा नहीं लगा कि ट्रेन का वहां ठहरना कोई बहुत आवश्यक था - न कोई सवारी उतरी , न यात्रियों की भीड़ ही दिखी -जो उस ट्रेन की प्रतीक्षा में हो .पैसेंजर ट्रेन थी , इसलिए हर ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    jyoti sihag
    28 जुन 2017
    janvar sache sambhandi hote h..
  • author
    sushant Srivastava
    30 ऑक्टोबर 2017
    अपनत्व
  • author
    VEENU AHUJA
    06 सप्टेंबर 2020
    संवेदना ही मनुष्य को मनुष्य बनाती है। वातावरण चित्रण उत्तम सार्थक कहानी कृप्या मेरी कहानी भी पढे धन्यवाद
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    jyoti sihag
    28 जुन 2017
    janvar sache sambhandi hote h..
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    sushant Srivastava
    30 ऑक्टोबर 2017
    अपनत्व
  • author
    VEENU AHUJA
    06 सप्टेंबर 2020
    संवेदना ही मनुष्य को मनुष्य बनाती है। वातावरण चित्रण उत्तम सार्थक कहानी कृप्या मेरी कहानी भी पढे धन्यवाद