कभी-कभी इंसान दूसरे की भावनाओं का सम्मान न कर ऐसा कुछ कर बैठता है जिसके कारण उसे ताउम्र पछताना पड़ता है । इसी तथ्य पर आधारी है मेरी कहानी' समय का फेर'
कभी-कभी इंसान दूसरे की भावनाओं का सम्मान न कर ऐसा कुछ कर बैठता है जिसके कारण उसे ताउम्र पछताना पड़ता है । इसी तथ्य पर आधारी है मेरी कहानी' समय का फेर'