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समय का फेर

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4.7

कभी-कभी इंसान दूसरे की भावनाओं का सम्मान न कर ऐसा कुछ कर बैठता है जिसके कारण उसे ताउम्र पछताना पड़ता है । इसी तथ्य पर आधारी है मेरी कहानी' समय का फेर'