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सामयिक लेख

4.5
171

कैसा हो साहित्य कि जब साहित्यकार सम्मान लौटाने पर विवश हो तो भव्य जन आंदोलन खड़े हो जावें देश के विभिन्न अंचलो से रचनाकारो , लेखको , बुद्धिजीवियों द्वारा साहित्य अकादिमियो के सम्मान वापस करने की होड़ सी लगी हुई है . संस्कृति विभाग , सरकार , प्रधानमंत्री जी मौन हैं .जनता चुप है . यह स्थिति एक सुसंस्कृत सभ्य समाज के लिये बहुत अच्छी नही कही जा सकती . शाश्वत सत्य है , शब्द मरते नहीं . इसीलिये शब्द को हमारी संस्कृति में ब्रम्ह कहा गया है . यही कारण है कि स्वयं अपने जीवन में विपन्नता से संघर्ष करते ...

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समीक्षा
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  • author
    Ashok Sharma
    23 फ़रवरी 2020
    विवेकजी रचना उन साहित्यकार एवं साहित्यिक संस्थाओं के लिए है उनकी रचना साहित्य सृजन दिशा ए्वं दशा पर एक निर्भीक एवं निष्पक्ष समालोचनात्मक लेख है
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    Ashok Sharma
    23 फ़रवरी 2020
    विवेकजी रचना उन साहित्यकार एवं साहित्यिक संस्थाओं के लिए है उनकी रचना साहित्य सृजन दिशा ए्वं दशा पर एक निर्भीक एवं निष्पक्ष समालोचनात्मक लेख है