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समर्पण भाव

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समर्पण भाव भक्ति का अंतिम अंग है। भक्ति में ईश्वर को मालिक और स्वयं को दास या सेवक समझना भक्ति की अंतिम अंग है दास्य भाव भी आत्मसमर्पण और आत्म निवेदन कर वह भी दास ही होता है परंतु उदाहरण से इनका ...

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लेखक के बारे में
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मंदाकिनी

श्रीमती- लेखक मंदाकिनी निर्मलकर( कर्ष ) पिताजी -दूजेराम कर्ष (पूर्व शिक्षक) माता - क़यामती , योग्यता - एम .ए. ( हिंदी साहित्य) , व्यवसाय- भारतीय जीवन बीमा अभिकर्ता, पोस्ट ऑफिस अभिकर्ता पुस्तक प्रकाशित-सुंदरकांड छत्तीसगढ़ी भावनुवाद रुचि -काव्य पढ़ने का उपन्यास पढ़ने एवं लिखने .... व्हाट्स 916265902580

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    07 November 2022
    बहुत खूब लिखा।जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जी।
  • author
    anshu saxena
    09 November 2022
    समर्पण भक्ति का अंतिम अंग है. इसके साथ कथा प्रस्तुति अनुपम है जो आपके तर्क का समर्थन करती है. प्रेरक प्रसंग आपका🙏
  • author
    Raj Thakur
    07 November 2022
    स्काम भक्ति और निष्काम भक्ति को बहुत सुंदर ढंग से सम्झट्या है आपने साधु वाद🥀🥀🥀
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    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    07 November 2022
    बहुत खूब लिखा।जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जी।
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    anshu saxena
    09 November 2022
    समर्पण भक्ति का अंतिम अंग है. इसके साथ कथा प्रस्तुति अनुपम है जो आपके तर्क का समर्थन करती है. प्रेरक प्रसंग आपका🙏
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    Raj Thakur
    07 November 2022
    स्काम भक्ति और निष्काम भक्ति को बहुत सुंदर ढंग से सम्झट्या है आपने साधु वाद🥀🥀🥀