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समाज, साहित्य और संस्कृति से दरकिनार : मासिक धर्म कुप्रथा

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साहित्य, समाज और संस्कृति में स्त्री की स्थिति अंतर्विरोधों से भरी हुई है। इस संदर्भ में सिमोन द बोउआ की बात सत्य ही है कि ‘साहित्य, इतिहास व परंपराए पुरुषों ने बनाए है, और पुरुषों ने अपने बनाए इस ...

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लेखक के बारे में
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राकेश जोशी

m.a Hindi from Delhi university

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Komal Bharti Gupta
    23 जुलाई 2017
    बहुत खूब राकेश जोशी। महिलाओं के इस पहलु पर बात करने के लिए बहुत सारे तथ्य और तर्क जुटाएं आपने और काफी साडी समस्याओ के बाद अंत में बहुत से सकारात्मक पहलुओं से अवगत कराने के लिए शुक्रिया।
  • author
    Himanshi Singh
    26 अगस्त 2020
    I have read your work, you are truly a great writer. We would like to give you a chance on behalf of our publication house.msg me in inbox.
  • author
    10 जून 2018
    बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण आलेख ।
  • author
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  • author
    Komal Bharti Gupta
    23 जुलाई 2017
    बहुत खूब राकेश जोशी। महिलाओं के इस पहलु पर बात करने के लिए बहुत सारे तथ्य और तर्क जुटाएं आपने और काफी साडी समस्याओ के बाद अंत में बहुत से सकारात्मक पहलुओं से अवगत कराने के लिए शुक्रिया।
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    Himanshi Singh
    26 अगस्त 2020
    I have read your work, you are truly a great writer. We would like to give you a chance on behalf of our publication house.msg me in inbox.
  • author
    10 जून 2018
    बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण आलेख ।