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सलोनी

4.2
431608

रात के खाने के बाद मां अपने कमरे में सोने चली गई। सलोनी रसोईघर में मजे बर्तन पोंछकर रख रही थी। उसके पीछे रसोईघर के दरवाजे पर खड़े दीपक ने पूछा," एक कप कॉफी मिलेगी ?" "जी.." वह इतना ही कह पाई। अपने ...

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लेखक के बारे में
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DurgeshWari Sharma🚩

सभी कहानियां, लेख तथा धारावाहिक मेरी द्वारा लिखित है इनके कॉपीराइट मेरे पास है कोई भी भूल से भी इन्हें कॉपी करने की या चुराने की कोशिश ना करें अन्यथा अदालत में ही उचित कार्रवाई की जाएगी। - सुश्री दुर्गेशवरी शर्मा, राजस्थान

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    04 नवम्बर 2019
    यद्दपि मैं नायिका के फैसले से संहमत नहीं हूँ परन्तु आपकीं लेखन प्रतिभा की कायल हूँ! बहुत खूबसूरती से लिखा👌👌👌👌 जिन साथियों ने नायिका के फैसले से असहमति के कारण आपकीं कहानी को 1 स्टार के लायक समझा,मैं उन से असहमत हूँ। यहाँ हम समीक्षा लेखन की कर रहे हैं,नायिका की नहीं। जब कहानी के पात्र से पाठक इतना प्रभावित हुआ कि नायिका गलत लगी तो कहानीकार तो सफल है ना। अति सुंदर 👌👌👌👌
  • author
    Pramila Joshi "जोशी"
    14 अक्टूबर 2019
    कहानी बहुत सुन्दर गति से अन्त तक पंहुची पर दीपक को सलोनी के अपराध के लिये कुछ न कुछ सजा अवश्य देनी चाहिये थी।
  • author
    Vivek Padtani
    03 जनवरी 2019
    आज के दौर में ऐसी कहानी कहाँ मिलती हैं ?? निज जीवन में अब ऐसी नारी भी ना रहीं जो किसी के मन को समझें वह भी चुप चाप , इस आधुनिकता के दौर में जीवन यंत्रवत ही हो चला है , लेकिन आपकी कहानी के लिए आपका धन्यबाद !! आप लिखते रहिये हमहें अच्छा लगा 👍👍💐
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    04 नवम्बर 2019
    यद्दपि मैं नायिका के फैसले से संहमत नहीं हूँ परन्तु आपकीं लेखन प्रतिभा की कायल हूँ! बहुत खूबसूरती से लिखा👌👌👌👌 जिन साथियों ने नायिका के फैसले से असहमति के कारण आपकीं कहानी को 1 स्टार के लायक समझा,मैं उन से असहमत हूँ। यहाँ हम समीक्षा लेखन की कर रहे हैं,नायिका की नहीं। जब कहानी के पात्र से पाठक इतना प्रभावित हुआ कि नायिका गलत लगी तो कहानीकार तो सफल है ना। अति सुंदर 👌👌👌👌
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    Pramila Joshi "जोशी"
    14 अक्टूबर 2019
    कहानी बहुत सुन्दर गति से अन्त तक पंहुची पर दीपक को सलोनी के अपराध के लिये कुछ न कुछ सजा अवश्य देनी चाहिये थी।
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    Vivek Padtani
    03 जनवरी 2019
    आज के दौर में ऐसी कहानी कहाँ मिलती हैं ?? निज जीवन में अब ऐसी नारी भी ना रहीं जो किसी के मन को समझें वह भी चुप चाप , इस आधुनिकता के दौर में जीवन यंत्रवत ही हो चला है , लेकिन आपकी कहानी के लिए आपका धन्यबाद !! आप लिखते रहिये हमहें अच्छा लगा 👍👍💐