** नज़्म ** हम नहीं बदले तेरी नज़रें बदल गयीं! अखबार नहीं बदले खबरें बदल गयीं! अपनी उम्मीदों का क्या हाल सुनाता, घर छोड़ना सही था कमरे बदल गयीं! तन्हाइयों ने समझा मेरा साथ ना ...
बंजर जमीन छोड़कर नहरे बदल गई बहुत बढ़िया अल्फाज कभी-कभी तो मतलब समझ नहीं आती क्या खूब लिखते हैं आप धन्यवाद नमस्कार। आज मेरा लेख बिना आपकी समीक्षा के अभी तक पड़ी हुई है| मैं यही समझ रही थी कि आज इस मंच पर शायद आप का अवतरण नहीं हुआ है अभी तक पर जब प्रोफाइल पर आई तब दो-दो नज्म मिले। आज पता नहीं कैसे नोटिफिकेशन नहीं मिला था।
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