जब भी अकेला होता हूं या फिर बहुत से ख्याल मन में आते हैं तो कोरे पन्नो और कलम को साथी मानकर सारे भाव लिख देता हूँ। माँ हिंदी के प्रति भाव बीते दिनों में जिस तरह से बढ़ा है गुज़रे हुए दिन , बीती हुई बातें भी अच्छी लगने लगीं।
सारांश
जब भी अकेला होता हूं या फिर बहुत से ख्याल मन में आते हैं तो कोरे पन्नो और कलम को साथी मानकर सारे भाव लिख देता हूँ। माँ हिंदी के प्रति भाव बीते दिनों में जिस तरह से बढ़ा है गुज़रे हुए दिन , बीती हुई बातें भी अच्छी लगने लगीं।
रिपोर्ट की समस्या
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