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सजल नैन मेरे धरा को भिगोते

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मेरे प्यार से मिला अनुभव

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लेखक के बारे में

जब भी अकेला होता हूं या फिर बहुत से ख्याल मन में आते हैं तो कोरे पन्नो और कलम को साथी मानकर सारे भाव लिख देता हूँ। माँ हिंदी के प्रति भाव बीते दिनों में जिस तरह से बढ़ा है गुज़रे हुए दिन , बीती हुई बातें भी अच्छी लगने लगीं।

समीक्षा
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    17 नवम्बर 2018
    Very good
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    आशिष पण्डित
    17 नवम्बर 2018
    उत्तम
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    आशिष पण्डित
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