उसकी कमर झुकी हुई है। उम्र का आखिरी पड़ाव पर जिन्दगी की डोर थमी है। जीर्ण शिर्ण चिथड़ों में लिपटी हुई सबके सामने अपनी निर्बल हाथ पसारे माँग रही है। मैंने अपने जेब से कुछ सिक्के निकाल कर उसके हाथ ...
उसकी कमर झुकी हुई है। उम्र का आखिरी पड़ाव पर जिन्दगी की डोर थमी है। जीर्ण शिर्ण चिथड़ों में लिपटी हुई सबके सामने अपनी निर्बल हाथ पसारे माँग रही है। मैंने अपने जेब से कुछ सिक्के निकाल कर उसके हाथ ...