कमलानाथ की कहानियां और व्यंग्य ‘60 के दशक से भारत की विभिन्न पत्रिकाओं में छपते रहे हैं। उनका व्यंग्य संग्रह ‘साहित्य का ध्वनि तत्त्व उर्फ़ साहित्यिक बिग बैंग ’ अयन प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा, कहानी संग्रह “भौंर्या मो ” और एक अन्य व्यंग्य संग्रह “मूरख तो एकहि भलो ” ऑनलाइन गाथा – द एंडलैस टेल, लखनऊ से (ई-पुस्तक और पेपरबैक के रूप में), व्यंग्यसंग्रह 'एक शाम हरी घास पर' शिवना प्रकाशन, सीहोर, म.प्र. से तथा संस्मरणात्मक कथोपन्यास "लापता चेहरों का भूगोल" शब्दार्थ प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित हुए हैं। दो अन्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य हैं।
व्यंग्य संग्रह ‘साहित्य का ध्वनि तत्त्व उर्फ़ साहित्यिक बिग बैंग' के लिए आपको 2018-19 में राजस्थान साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित 'कन्हैयालाल सहल सम्मान' से सम्मानित किया गया था।
वेदों, उपनिषदों आदि में जल, पर्यावरण, परिस्थिति विज्ञान सम्बन्धी उनके लेख हिंदी और अंग्रेज़ी में विश्वकोशों, पत्रिकाओं, व अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में छपे और चर्चित हुए हैं।
कमलानाथ इंजीनियर हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय सिंचाई एवं जलनिकास आयोग (आई.सी.आई.डी.) के सचिव, भारत सरकार के उद्यम एन.एच.पी.सी. लिमिटेड में जलविज्ञान विभागाध्यक्ष, और नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टैक्नोलोजी, जयपुर में सिविल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफ़ेसर पदों पर रह चुके हैं। जलविद्युत अभियांत्रिकी (Water Power Engineering) पर उनकी पुस्तक देश विदेश में बहुचर्चित है तथा उनके अनेक तकनीकी लेख आदि विभिन्न राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं व सम्मेलनों में प्रकाशित/प्रस्तुत होते रहे हैं। वे 1976-77 में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय (अमरीका) में जल-प्रबंधन में फ़ोर्ड फ़ाउन्डेशन फ़ैलो रह चुके हैं। विश्व खाद्य सुरक्षा और जलविज्ञान में उनके योगदान के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सम्मान भी मिल चुके हैं।
वर्तमान में कमलानाथ जलविज्ञान व जलविद्युत अभियांत्रिकी में सलाहकार एवं ‘एक्वाविज़्डम’ नामक संस्था के चेयरमैन हैं।
संपर्क:
कमलानाथ
ई-मेल: [email protected]
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