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सफारी - सूट

4.6
3274

पहली तनख्वाह मिलते ही रामलाल ने पिताजी के लिए नया सफारी सूट खरीदा और सीधा पहुँचा स्टेशन रोड पर स्थित उनकी छोटी-सी चाय की दुकान पर। उसने सफारी खरीदने के बाद बचे लगभग 27 हजार रुपये लिफाफे में भरकर ...

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लेखक के बारे में

पढ़ना मेरी आदत में शामिल है, जबकि लिखना महज शौक है। शिक्षा :- एम.ए. (हिन्दी साहित्य, राजनीति विज्ञान, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब.आई.एस-सी., (सभी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण) पीएच.डी., C.G. T.E.T., U.G.C. N.E.T. प्रसारण/प्रकाशन :- 1. आकाशवाणी केन्द्र, रायगढ़ (छ.ग.) में युववाणी तथा किसानवाणी कम्पीयर के रूप में चार सौ से अधिक नियमित कार्यक्रम, धारावाहिक, दर्जनों भेंटवार्ता तथा जीवंत फोन-इन-कार्यक्रम का संचालन/प्रसारण। 2. मासिक कल्याण, गीता प्रेस गोरखपुर; मासिक साहित्य अमृत, नईदिल्ली; मासिक शुभ तारिका, अबाला छावनी हरियाणा; मासिक गुड़िया, नई दिल्ली; त्रैमासिक अविराम साहित्यिकी, मासिक शब्दकार, मासिक चकमक, भोपाल; मासिक नूतन कहानियाँ, प्रयागराज; मासिक समझ झरोखा, भोपाल; अर्धवार्षिक लघुकथा कलश, त्रैमासिक साहित्य कलश, त्रैमासिक दृष्टि, त्रैमासिक चिकिर्षा, खजूरी बाजार, इंदौर; मासिक प्राची, नई दिल्ली; मासिक प्रेरणा अंशु, मासिक ककसाड़, नई दिल्ली; मासिक वीणा, इंदौर; मासिक सरस्वती सुमन, मासिक दि अंडरलाइन, कानपुर; मासिक हिमप्रस्थ, शिमला; मासिक अट्टहास, मासिक अरण्यवाणी, मासिक सुवासित, मासिक शब्द्कार, मासिक अदम्य, मासिक जय विजय, मासिक सुरभि सलोनी, त्रैमासिक अनुगुंजन, मासिक शाश्वत सृजन, त्रैमासिक समहुत, मासिक स्वर्णवाणी, मासिक रचना उत्सव, प्रयागराज; मासिक सत्य की मशाल, भोपाल; मासिक शब्द गुंजन, त्रैमासिक सर्वभाषा, नईदिल्ली; 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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Arvind Singh
    16 मार्च 2019
    mere bachpan ka bhi yahi sapna tha Jo jindagi ki bhagambhag me yaad hi nhi raha. aaj apka likha padhkar wahi sapna ankho me fir aansu le aya. aabhar apka yaad dilane ke liye ek sachi kahani ke roop me
  • author
    Manisha Raghav
    27 दिसम्बर 2018
    bahut hi achchhi bas aajkal shahron main yuvak pidhi main yahi bhavnayen khatam hoti ja rahi hain . bade log , badi badi baten shoshan baji so alag
  • author
    Mukesh Verma
    22 मार्च 2022
    इतना सुन्दर भाग्य सबका नहीं होता. कोई बेटा मदद करना नहीं चाहता. कोई बेटा की कमाई अपर्याप्त होती है. काश आपकी कहानी सबके जीवन में सच हो.
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    Arvind Singh
    16 मार्च 2019
    mere bachpan ka bhi yahi sapna tha Jo jindagi ki bhagambhag me yaad hi nhi raha. aaj apka likha padhkar wahi sapna ankho me fir aansu le aya. aabhar apka yaad dilane ke liye ek sachi kahani ke roop me
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    Manisha Raghav
    27 दिसम्बर 2018
    bahut hi achchhi bas aajkal shahron main yuvak pidhi main yahi bhavnayen khatam hoti ja rahi hain . bade log , badi badi baten shoshan baji so alag
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    Mukesh Verma
    22 मार्च 2022
    इतना सुन्दर भाग्य सबका नहीं होता. कोई बेटा मदद करना नहीं चाहता. कोई बेटा की कमाई अपर्याप्त होती है. काश आपकी कहानी सबके जीवन में सच हो.