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हिन्दी

सदन कसाई

4.5
17

सदन कसाई कर्म से, करता अपना काम। लेता है नित नियम से, दुखहर्ता का नाम।। मनमें ईश्वर को सुमिर, चला राह में जाय। ठोकर पत्थर से लगी, हाथों लिया उठाय।। पत्थर गोल मटोल था, देखत मनहिं लुभाइ। रखकर अपने पास ...

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लेखक के बारे में

मेरा परिचय नाम- दुर्गा प्रसाद पिता - श्री कुन्दन लाल मां - श्रीमती महादेवी जन्मस्थान - गांव सेदरिया,पत्रालय-महरारा, जिला-हाथरस (उप्र) शिक्षा - बीए,एल एल बी केन्द्रीय सरकार से सेवानिवृत्त होने के बाद हिन्दी साहित्य में जो रुचि थी उसे लेखन के जरिए प्रतिलिपि पटल पर उजागर किया। प्रकाशित रचनाएं-किसान, पूर्व जन्म में लिया गया क़र्ज़, परवरिश, क्या पता था ? पहला सावन, चौधरी,गरीब का बेटा

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ambika Sharma
    29 अक्टूबर 2020
    बहुत खूब, बेहतरीन रचना👌👌👌🙏🙏🙏🙏
  • author
    Mangla Shrivastava
    28 अक्टूबर 2020
    बहुत सुंदर दोहे में कथा कह दी
  • author
    अतीसुन्दर उत्कृष्ट लेखन
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    Ambika Sharma
    29 अक्टूबर 2020
    बहुत खूब, बेहतरीन रचना👌👌👌🙏🙏🙏🙏
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    Mangla Shrivastava
    28 अक्टूबर 2020
    बहुत सुंदर दोहे में कथा कह दी
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    अतीसुन्दर उत्कृष्ट लेखन