**सदा के लिए** जुदा नही होते लोग सदा के लिए, मिलते हैं यदा-कदा ही लोग सदा के लिए। बदलता नही हवा रुख सदा के लिए, लगती है यदा-कदा ही आग सदा के लिए। पाषाण नही होता कठोर सदा के लिए, पर्वत भी यदा-कदा ...
इक रात जो ग़ज़ल के पहलू में सो गया
उसका नया मैं एक दीवाना सा हो गया !!
हसरत बहुत थी शे'र ग़ज़ल रोज़ मैं लिखूँ
फिर क़ाफ़िया रदीफ़ के शहरों में खो गया !!
~ अमितांश 'अमित'
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सारांश
इक रात जो ग़ज़ल के पहलू में सो गया
उसका नया मैं एक दीवाना सा हो गया !!
हसरत बहुत थी शे'र ग़ज़ल रोज़ मैं लिखूँ
फिर क़ाफ़िया रदीफ़ के शहरों में खो गया !!
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