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सचमुच पागल हो जाएंगे

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हम तो सो जाते हैं शायद, मन ये मेरा जगता है।           सचमुच   पागल   हो   जाएंगे,  ऐसा  लगता है।           आवाजों के बाजारों में कौन सुने खामोशी मेरी।           शीशे  जैसे   खनक  न  जाएं,  ...

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लेखक के बारे में
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Satya Prakash

जो बुराई किया करते हैं हमारी वो मेरे नाम के लगते हैं पुजारी उनके जीने की दुआ करता हूँ 🙏🙏🙏9369195574, 9519107104

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
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    Sumit Tiwari "निदान"
    28 दिसम्बर 2019
    शीशे जैसे खनक न जाएं ऐसा लगता है।। मैं आपका हो चुका हूँ चाहे जो करो।। नमन आपको 🙏🙏🙏
  • author
    29 दिसम्बर 2019
    बहुत सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं भी।
  • author
    28 दिसम्बर 2019
    waah ati sundar bhai ji 🙏🙏
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    Sumit Tiwari "निदान"
    28 दिसम्बर 2019
    शीशे जैसे खनक न जाएं ऐसा लगता है।। मैं आपका हो चुका हूँ चाहे जो करो।। नमन आपको 🙏🙏🙏
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    29 दिसम्बर 2019
    बहुत सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं भी।
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    28 दिसम्बर 2019
    waah ati sundar bhai ji 🙏🙏