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सच्ची मुच्ची!

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** सच्ची मुच्ची -१ ** दिल में रखते नहीं हैं बोल दिया करते हैं, नहीं चाहत का कभी मोल दिया करते हैं; ज़रा सी आहट सुनते ही तेरे कदमों की, दिल के दरवाजे हम खोल दिया करते हैं!           ** ...

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लेखक के बारे में

राजेश पाण्डेय "घायल"

समीक्षा
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    .....
    19 मई 2021
    खुद को सौंप दिया है गीली मिट्टी की तरह, तुम बनाओ या बिगाड़ो तुम्हारी मर्जी। 👌👌👌👌👍👍👍👍💐💐💐💐👌👌👍 सर आपने हर बार की तरह लाजवाब कर दिया हमें, बहुत ही शानदार लिखा है, रदीफ़ क़ाफ़िए हमेशा की तरह शानदार। 💐💐👌👌👍👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
  • author
    Sanjay Ni_ra_la
    19 मई 2021
    तीनों मुक्तक एक से बढ़कर एक लाज़वाब बहुत उम्दा हम तो कब से पास आने की जिद कर रहे हैँ आप हैं बेवजह खुद को क्यूं ख़फ़ा कर रहे हैं और कितना लोगे हमारी मोहब्बत का इम्तिहान तुम्हारी यादों में अब तो आसु छलक रहे हैं
  • author
    Aruna Soni
    19 मई 2021
    वो रोज़ कहर बरपाते हैं, हम रोज़ ज़िंदा हो जाते हैं... हर सहर को इक अख़बार की तरह आपकी नज़्म की आदत लग गई है, ये वो चाय है जिसका नशा दिन भर रहता है ।👌👌🙏🌷
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    .....
    19 मई 2021
    खुद को सौंप दिया है गीली मिट्टी की तरह, तुम बनाओ या बिगाड़ो तुम्हारी मर्जी। 👌👌👌👌👍👍👍👍💐💐💐💐👌👌👍 सर आपने हर बार की तरह लाजवाब कर दिया हमें, बहुत ही शानदार लिखा है, रदीफ़ क़ाफ़िए हमेशा की तरह शानदार। 💐💐👌👌👍👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
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    Sanjay Ni_ra_la
    19 मई 2021
    तीनों मुक्तक एक से बढ़कर एक लाज़वाब बहुत उम्दा हम तो कब से पास आने की जिद कर रहे हैँ आप हैं बेवजह खुद को क्यूं ख़फ़ा कर रहे हैं और कितना लोगे हमारी मोहब्बत का इम्तिहान तुम्हारी यादों में अब तो आसु छलक रहे हैं
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    Aruna Soni
    19 मई 2021
    वो रोज़ कहर बरपाते हैं, हम रोज़ ज़िंदा हो जाते हैं... हर सहर को इक अख़बार की तरह आपकी नज़्म की आदत लग गई है, ये वो चाय है जिसका नशा दिन भर रहता है ।👌👌🙏🌷