कुछ नहीं.. बस इंतजार.... 💔💔
कुछ भी तो नहीं मैं... एक ज़र्रा सा ही तो हूँ... करता हूँ कुछ कोशिश समझने की ख़ुद को... और लोगों को उनके भीतर ढूँढना चाहता हूँ.... नवाज़ता रहता है वह.... नहीं तो ख़ुद ही को भी तो नहीं पहचानता हूँ...., हैरान हूँ देख के यह लोगों के बदलते हुए रंग....,
जो कल तक थे सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे ही..., अब नज़रों में उनके ही उन्हें ढूँढना चाहता हूँ....
रिपोर्ट की समस्या
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