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"सब्र" , "यक़ीन" और "शुक्र" की कहानी

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ईश्वर की इच्छाओं पर सब्र, शुक्र और यक़ीन

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लेखक के बारे में

कुछ नहीं.. बस इंतजार.... 💔💔 कुछ भी तो नहीं मैं... एक ज़र्रा सा ही तो हूँ... करता हूँ कुछ कोशिश समझने की ख़ुद को... और लोगों को उनके भीतर ढूँढना चाहता हूँ.... नवाज़ता रहता है वह.... नहीं तो ख़ुद ही को भी तो नहीं पहचानता हूँ...., हैरान हूँ देख के यह लोगों के बदलते हुए रंग...., जो कल तक थे सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे ही..., अब नज़रों में उनके ही उन्हें ढूँढना चाहता हूँ....

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rashhhhhh.....
    29 জুন 2019
    बहुत ही अच्छी और शिक्षाप्रद कहानी है , यह उस प्रभु के प्रति असीम श्रद्धा, विश्वास और प्रेम को प्रदर्शित भी करती है और शिक्षा दे प्रोत्साहित भी। 👌👌👌👍👍
  • author
    sushma gupta
    29 জুন 2019
    सुखी जीवन के बस यही तीन मूल मंत्र हैं.. 👏👏👏👏बहुत बढ़िया उदाहरण के साथ रचना लिखी है 👌👌👌👌👌👌💐💐💐💐
  • author
    राम किशन
    08 সেপ্টেম্বর 2022
    बहुत खूब। बहुत दिलचस्प ढंग से आपने बात कही है।
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    Rashhhhhh.....
    29 জুন 2019
    बहुत ही अच्छी और शिक्षाप्रद कहानी है , यह उस प्रभु के प्रति असीम श्रद्धा, विश्वास और प्रेम को प्रदर्शित भी करती है और शिक्षा दे प्रोत्साहित भी। 👌👌👌👍👍
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    sushma gupta
    29 জুন 2019
    सुखी जीवन के बस यही तीन मूल मंत्र हैं.. 👏👏👏👏बहुत बढ़िया उदाहरण के साथ रचना लिखी है 👌👌👌👌👌👌💐💐💐💐
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    राम किशन
    08 সেপ্টেম্বর 2022
    बहुत खूब। बहुत दिलचस्प ढंग से आपने बात कही है।