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सबके हिस्से में नहीं आता

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ये जमी, ये आसमां ये खुशी, ये मुस्कान रोटी,कपड़ा और मकान सबके हिस्से में नहीं आता । ये एतबार , ये प्यार ये आसू, ये इंतजार सुकून भरा एक इतवार सबके हिस्से में नहीं आता । ये मंजिल ये रास्ता, ये सफर ये ...

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लेखक के बारे में
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Saroj Bala

न वकत ने मोहलत दी न सासो ने रहमत की जिंदगी ने क्या खुब हम पर नजरे इनायत की ।।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shweta Gujjar
    04 मार्च 2025
    nice
  • author
    Anju Punia
    14 मार्च 2024
    ❤️❤️❤️❤️❤️❤️
  • author
    RAJESH BHADANA
    12 नवम्बर 2023
    ❤️❤️
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    Shweta Gujjar
    04 मार्च 2025
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    14 मार्च 2024
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    RAJESH BHADANA
    12 नवम्बर 2023
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