pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं

1318
4.0

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं याद थी हमको भी रन्गा रन्ग बज़्माराईयाँ लेकिन अब नक़्श-ओ-निगार-ए-ताक़-ए-निसियाँ हो गईं थीं बनातुन्नाश-ए-गर्दूँ ...