सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं याद थी हमको भी रन्गा रन्ग बज़्माराईयाँ लेकिन अब नक़्श-ओ-निगार-ए-ताक़-ए-निसियाँ हो गईं थीं बनातुन्नाश-ए-गर्दूँ ...
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं याद थी हमको भी रन्गा रन्ग बज़्माराईयाँ लेकिन अब नक़्श-ओ-निगार-ए-ताक़-ए-निसियाँ हो गईं थीं बनातुन्नाश-ए-गर्दूँ ...