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साथी

4.2
432

तेरे साथ होती हूँ तो भूल जाती हूँ हर गम मुझे जरूरत नहीं होती फिर किसी और की क्योंकि माँ तू मेरी साथी है । महीने नौ तूने गर्भ में पाला रखा सहेज कर दुनिया से बचा कर खुद से ज्यादा रखती थी , तू मेरा ...

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रेखा मौर्य

कमल सुनो मैंने देखा था उस रोज चाँदनी रातों में बेहिचक , बेझिझक विरान सी खड़ी थी ऐसा लग रहा था मानो निशा उसके गोद में समायी है तभी तो रेखा कहती है कि पवित्र लालिमा लिए सभी बुराइयों से उठकर कमल देवो के मन भायी है । रेखा

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    21 अक्टूबर 2023
    यथार्थ पूर्ण माँ के प्रति समर्पित सुन्दर रचना । हार्दिक साधुवाद
  • author
    Umesh Kumar Shrivastava
    09 दिसम्बर 2024
    सम्बन्धों की संवेदनाओं को उकेरती भावपूर्ण रचना । साधुवाद
  • author
    Anup Bhartee
    03 अप्रैल 2022
    माँ पर बहुत सुंदर कविता लिखा है, आपने
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  • author
    अरविन्द सिन्हा
    21 अक्टूबर 2023
    यथार्थ पूर्ण माँ के प्रति समर्पित सुन्दर रचना । हार्दिक साधुवाद
  • author
    Umesh Kumar Shrivastava
    09 दिसम्बर 2024
    सम्बन्धों की संवेदनाओं को उकेरती भावपूर्ण रचना । साधुवाद
  • author
    Anup Bhartee
    03 अप्रैल 2022
    माँ पर बहुत सुंदर कविता लिखा है, आपने