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जो तुम न मिलते

4.6
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" दोनों बहुओं के लिए ये अंगूठियां ठीक रहेंगी।"उसने सोचा। पचास वर्ष की संध्या।दो इंजीनियर बेटों की माँ।एक कुशल मध्यमवर्गीय गृहणी की तरह अपनी भावी बहुओं के लिए गहनों की खरीदारी कर रही थी।लौकिक दृष्टि ...

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लेखक के बारे में

Dr Asharma

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    28 अप्रैल 2018
    बहोत खूब शानदार रचना दुनियादारी का पूल और प्यार समाज की सोच और प्यार ।। प्यार परिभाषित ही नही हो सकता यह बंधन में नही ह फिर भी बंधन में है ये उम्र सम्प्रदाय शर्तो परिस्थितियो के बंधन में नही होता है पर दुनियादारी समाज के बंधन में होता है।।।
  • author
    25 अगस्त 2018
    भावनाये उम्र की मोहताज नही होती , जिन्दादिली का जज्बा गर बरकरार हो।
  • author
    Jhuma Haldar
    14 अप्रैल 2022
    bahot sunder lagi aapki kahani 👌👌🙏🙏
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    28 अप्रैल 2018
    बहोत खूब शानदार रचना दुनियादारी का पूल और प्यार समाज की सोच और प्यार ।। प्यार परिभाषित ही नही हो सकता यह बंधन में नही ह फिर भी बंधन में है ये उम्र सम्प्रदाय शर्तो परिस्थितियो के बंधन में नही होता है पर दुनियादारी समाज के बंधन में होता है।।।
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    25 अगस्त 2018
    भावनाये उम्र की मोहताज नही होती , जिन्दादिली का जज्बा गर बरकरार हो।
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    Jhuma Haldar
    14 अप्रैल 2022
    bahot sunder lagi aapki kahani 👌👌🙏🙏