" दोनों बहुओं के लिए ये अंगूठियां ठीक रहेंगी।"उसने सोचा। पचास वर्ष की संध्या।दो इंजीनियर बेटों की माँ।एक कुशल मध्यमवर्गीय गृहणी की तरह अपनी भावी बहुओं के लिए गहनों की खरीदारी कर रही थी।लौकिक दृष्टि ...
बहोत खूब शानदार रचना दुनियादारी का पूल और प्यार समाज की सोच और प्यार ।। प्यार परिभाषित ही नही हो सकता यह बंधन में नही ह फिर भी बंधन में है ये उम्र सम्प्रदाय शर्तो परिस्थितियो के बंधन में नही होता है पर दुनियादारी समाज के बंधन में होता है।।।
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
अपने प्रिय लेखक को सब्सक्राइब करें और सुपरफैन बनें !
बहोत खूब शानदार रचना दुनियादारी का पूल और प्यार समाज की सोच और प्यार ।। प्यार परिभाषित ही नही हो सकता यह बंधन में नही ह फिर भी बंधन में है ये उम्र सम्प्रदाय शर्तो परिस्थितियो के बंधन में नही होता है पर दुनियादारी समाज के बंधन में होता है।।।
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
अपने प्रिय लेखक को सब्सक्राइब करें और सुपरफैन बनें !
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या