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जो कुछ प्राप्त, वही पर्याप्त

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जो कुछ प्राप्त,वही पर्याप्त जो कुछ प्राप्त, वही पर्याप्त बस जो कुछ प्राप्त, वही पर्याप्त जीवन में सुख का मूलमंत्र है जो कुछ प्राप्त, वही पर्याप्त आपाधापी करती मन का  हर आनंद समाप्त हाँ, जो कुछ ...

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लेखक के बारे में
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Sudhir Kumar Sharma

नाम तो सुधीर लेकिन लेखनी बिल्कुल अधीर कविता के दर्पण में सिमटी जीवन की हर एक तस्वीर चिंतन के सागर में डूबी  और चेतना का नभ छूती छंदों की सीपी में ढलती मोती बनती मन की पीर       -सुधीर अधीर

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shreekant Gupta
    27 नवम्बर 2019
    सुंदर
  • author
    B. Maa
    27 अगस्त 2020
    बहुत सुंदर लिखा है आपने। सर, मेने भी अपनी नई कविता और कहानी प्रकाशित की है कृपया पढ़े और उसके लिए आप अपनी राय दें। धन्यवाद।
  • author
    27 नवम्बर 2019
    सुंदर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति जी। सुंदर शब्दो से सुसज्जित पंक्तियां। मार्मिक चित्रण एवं हृदय स्पर्शी कविता।
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    Shreekant Gupta
    27 नवम्बर 2019
    सुंदर
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    B. Maa
    27 अगस्त 2020
    बहुत सुंदर लिखा है आपने। सर, मेने भी अपनी नई कविता और कहानी प्रकाशित की है कृपया पढ़े और उसके लिए आप अपनी राय दें। धन्यवाद।
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    27 नवम्बर 2019
    सुंदर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति जी। सुंदर शब्दो से सुसज्जित पंक्तियां। मार्मिक चित्रण एवं हृदय स्पर्शी कविता।