भावजगत मे विचरण करना हमे मानसिक सूकून देता है और मन को ऊर्जा प्रदान करता है क्योकि सुख तो मन का बिषय है।
जन्म से मुझको मिली है,जो विरासत मे निशानी,
वह निशानी महका रही हूँ ,रीति एक निभा रही हूँ।
गीत एक सजा रही हूँ,......
जब मिली पीडा मुझे तो,गीत प्रस्फुटित शब्द निकले,
जान पायी कौन अपना,और लगे मन को पराया।
लेखनी जब हाथ मेरे,मै किसी से क्यो डरूगीं
आज मै अपने लिये ही,भाव के मोती लिखूँगी।
शौकिया लिखती नही हूँ,गीत है जीवन हमारा,
गीत है गत का कथानक,गीत है,भक्तिव्य हमारा।
रीति एक निभा रही हूँ,गीत एक सजा रही हूँ......🌹🌹🙏
रिपोर्ट की समस्या
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