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सात फेरों का प्रणय मिलन

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तेरे संग फेरे लिए थे जब अग्नि साक्षी बनी थी, हर वचन में प्रेम की लौ धीरे-धीरे जली थी। वो पहली रात की चुप्पी आज भी धड़कनों में बसी है, तेरी झुकी निगाहें अब भी मेरी रूह में घुली हैं। तेरे सिन्दूर ...

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लेखक के बारे में
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surendra bendre
समीक्षा
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  • author
    Vandana Jagtap
    07 जून 2025
    खूप सुंदर 👌👌👌
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    Vandana Jagtap
    07 जून 2025
    खूप सुंदर 👌👌👌