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सादा लिबास हूँ

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कलयुगी जहान में मैं सादा लिबास हूँ। आख़िरी नज़्म हूँ, तजुर्बे की किताब हूँ। अब मुझे भला कोई पढ़ना भी चाहे क्यूँ इस नए दौर में मैं इक पुरानी किताब हूँ। शुभेन्द्र सिंह ...

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लेखक के बारे में

मैं अर्थात चुप चाप चार्ली हथियार से नही शब्दो से वार करते हम तो शायर है जनाब चेहरों से नही लफ्जो से प्यार करते है

समीक्षा
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    Anuradha singh. "😊"
    12 मार्च 2025
    👍🏼👍🏼👍🏼👍🏼👍🏼👍🏼
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