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रूहानी साँझ...

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रूहानी साँझ कुछ कहा कुछ अनसुना एहसास है कोई वक़्त बदलता आगाज़ है कोई दिल से दिल की सौगात है कोई सकारत्मा की बात है कोई ये रूहानी साँझ है कोई वक़्त अब बदल रहा यहाँ इन्सान फिर इन्सान में तब्दील हो रहा ...

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लेखक के बारे में
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Shivali Pandya

कर्म भूमि तो मुंबई हैं, पर जड़ें उज्जैन से रखती हूँ... यु दुर्गा की भक्त हूँ, पर नाता महाकाल से रखती हूँ... यु जिज्ञासा से पढ़ती हूँ पर महाविद्यालयों में अपना ज्ञान बाटती हूँ... यु तो हिंदी पहला प्यार हैं पर शादी अर्थशास्त्र से कर बैठी हूँ.......

समीक्षा
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  • author
    Dipanshu Rathore
    01 जून 2020
    एक और बढ़िया रचना। लगी रहो!
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    Dipanshu Rathore
    01 जून 2020
    एक और बढ़िया रचना। लगी रहो!