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रूह को राह - ए - अदम में मेरा तन याद आया

4.4
1517

रूह को राह-ए-अदम में मेरा तन याद आया दश्त-ए-ग़ुर्बत में मुसाफ़िर को वतन याद आया चुटकियाँ दिल में मेरे लेने लगा नाख़ुन-ए-इश्क़ गुल-बदन देख के उस गुल का बदन याद आया वहम ही वहम में अपनी हुई औक़ात बसर ...

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लेखक के बारे में
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आघा हसन
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vijay Ratnani
    09 अगस्त 2020
    very deep indeed 👍👍
  • author
    N Jha
    24 मई 2020
    page badal nahi rha
  • author
    Sharad Srivastv
    10 जून 2019
    बहुत ही सुन्दर
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    Vijay Ratnani
    09 अगस्त 2020
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    N Jha
    24 मई 2020
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    Sharad Srivastv
    10 जून 2019
    बहुत ही सुन्दर