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रितु अलबेली प्यार का मौसम

4.9
30

ऋतु अलबेली आई शीत की सहेली आई राजा की रजाई आई रंक की अकेली आई प्रीति की रंगोली छाई घर नयी नवेली आई यौवन में अठखेली आई प्यार का मौसम आया आ रे मेरे साथी मीत जीवन का सुखोसम आया।। बदन को कंपाती ठंड ...

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लेखक के बारे में
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Rajendra Mishra

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समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sushma Sharma
    17 डिसेंबर 2019
    bahut hi sundar geet Gaya, do Baar padhhi rachna, ek ek Shabd vanshi SA baj Raha hai, खत्म हुआ शीतबंध , सारी सीमाएं टूट गईं मन उसके अंक लगकर प्रेम में डूब गया, अध्यात्म का स्पर्श करती हुई बहुत ही प्यारी रचना🙏🙏🙏🌹🌹
  • author
    संतोष नायक
    20 डिसेंबर 2019
    'राजन कुछ अब तजकर खुमारी'।सुंदर भावाभिव्यक्ति।
  • author
    17 डिसेंबर 2019
    वाह वाह बहुत ही सुंदर लिखा आपने मज़ा आ गया पढ़कर
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    Sushma Sharma
    17 डिसेंबर 2019
    bahut hi sundar geet Gaya, do Baar padhhi rachna, ek ek Shabd vanshi SA baj Raha hai, खत्म हुआ शीतबंध , सारी सीमाएं टूट गईं मन उसके अंक लगकर प्रेम में डूब गया, अध्यात्म का स्पर्श करती हुई बहुत ही प्यारी रचना🙏🙏🙏🌹🌹
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    संतोष नायक
    20 डिसेंबर 2019
    'राजन कुछ अब तजकर खुमारी'।सुंदर भावाभिव्यक्ति।
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    17 डिसेंबर 2019
    वाह वाह बहुत ही सुंदर लिखा आपने मज़ा आ गया पढ़कर