ऋतु अलबेली आई शीत की सहेली आई राजा की रजाई आई रंक की अकेली आई प्रीति की रंगोली छाई घर नयी नवेली आई यौवन में अठखेली आई प्यार का मौसम आया आ रे मेरे साथी मीत जीवन का सुखोसम आया।। बदन को कंपाती ठंड ...
bahut hi sundar geet Gaya, do Baar padhhi rachna, ek ek Shabd vanshi SA baj Raha hai, खत्म हुआ शीतबंध , सारी सीमाएं टूट गईं मन उसके अंक लगकर प्रेम में डूब गया, अध्यात्म का स्पर्श करती हुई बहुत ही प्यारी रचना🙏🙏🙏🌹🌹
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bahut hi sundar geet Gaya, do Baar padhhi rachna, ek ek Shabd vanshi SA baj Raha hai, खत्म हुआ शीतबंध , सारी सीमाएं टूट गईं मन उसके अंक लगकर प्रेम में डूब गया, अध्यात्म का स्पर्श करती हुई बहुत ही प्यारी रचना🙏🙏🙏🌹🌹
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